बनारस में मतदान बीता-चुनावी व्यस्तताओं से निजात मिली मगर करीब दो महीने से छूटे नैत्यिक विभागीय काम अब सर चढ़ बोल रहे हैं!
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किन्तु हम बड़ी आसानी से यह कह कर पल्ला झाड लेते है कि यह तो संसार क़ी नैत्यिक प्रक्रिया है जिसे हर जीवधारी को पूरी करनी है.
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[6] 2006 में रोग नियंत्रण के केंद्रों ने घोषणा की 13-64 वय के सभी अमेरिकियों की स्वास्थ्य सेवा से सामना होने पर स्वैच्छिक, नैत्यिक परीक्षण के लिये एक पहल की घोषणा की.
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और बाहर-बाहर अवधवासियों के नैत्यिक व्यवहार से, दर्शनार्थियों की अनगढ़ भीड़-भाड़ से गली कूँचों की स्थूलता इतनी गंदली है, इतनी घिनावनी है कि कहीं-कहीं तो मन बहुत ही बिदक जाता है |
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जिस आशियाने को हम अपने भविष्य के सपने को लक्ष्य तक पहुंचाने एवं अपनी नित्य नैत्यिक क्रियाओं से थक हारकर जिसके पवित्र एवं अति सुरक्षित आगोश में निशाकालीन प्रतिकूलताओ से राहत पाने के लिए बड़े प्रेम एवं रूचि से निर्दोष सपरिवार निद्रा लेते है.
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सुश्री गुप्ता जी, आप को यह आलेख अच्छा एवं ज्ञान वर्धक इस लिए लगा क्योकि संभवतः आप प्राच्य ग्रंथो, उनके मूल्य, सिद्धांत तथा उनकी नैत्यिक उपयोगिता में आप को रूचि, परम्परागत लगाव या प्रकृति प्रदत्त पारलौकिक आध्यात्मिक उत्कृष्ट उपहारों को आत्मसात करने क़ी तरफ आप का झुकाव है.
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इसी प्रसंग में उन्होंने यह भी कहा था कि ' मैं प्रतिदिन नैत्यिक कर्म के पश्चात् अष्टाध्यायी का पाठ करता हूँ ।' ” [सन्दर्भ १, पृष्ठ ७, पैरा २] अष्टाध्यायी के कण्ठस्थीकरण की परम्परा के बारे में चीनी यात्री इत्सिङ्ग ने भी भारत के अपने यात्रा-विवरण (६८१-६९१) में उल्लेख किया है, उद्धरण के लिए देखें-
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इसी प्रसंग में उन्होंने यह भी कहा था कि ' मैं प्रतिदिन नैत्यिक कर्म के पश्चात् अष्टाध्यायी का पाठ करता हूँ ।' “ [सन्दर्भ १, पृष्ठ ७, पैरा २] अष्टाध्यायी के कण्ठस्थीकरण की परम्परा के बारे में चीनी यात्री इत्सिङ्ग ने भी भारत के अपने यात्रा-विवरण (६८१-६९१) में उल्लेख किया है, उद्धरण के लिए देखें-पं॰ ब्रह्मदत्त जिज्ञासु जी लिखित ”अष्टाध्यायी (
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विधाता ने प्रकृति क़ी रचना, उसके संवर्धन एवं नियमन को सुचारू गति देने हेतु जब उसके आवश्यक अंगभूत जड़, जंगम एवं स्थावर को उनकी विविध नैत्यिक एवं निश्चित आतंरिक एवं बाह्य क्रिया कलापों-यथा आचार, व्यवहार, आहार, विहार, विचार, तर्कशक्ति, बौद्धिक क्षमता एवं कल्पना शक्ति को उनकी एक सीमा में मर्यादित किया तो विकार का उत्सर्जन होना सर्वथा स्वाभाविक ही था.