एल0पी0ए0 सं01623 / 09राज्य सरकार बनाम सेाहन राय एंव अन्य एनालोगस केसेज मे माननीय उच्च न्यायालय पटना द्वारा पारित न्यायादेश के अनुपालन मे जांच समिति की कार्यावधि छ:
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बहुमुखी प्रतिभा के धनी और हिन्दी में न्यायादेश लिखने वाले पटना उच्च न्यायालय के प्रथम न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश्वर प्रसाद मंडल ‘ मणिराज ' यदुवंश की ही पैदाइश थे.
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अंत में मेट्रोपोलोटिन मेजिस्ट्रेट ने अपने न्यायादेश देते कहा-” सरकार की ओर से विद्वान धाराशास्त्री ने प्रस्तुत किए हुए भिन्न-भिन्न आदेश इसी केस की हकिकतो और संजोग को असर्नही करते।
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रिट पेटिशन (सिविल) सं0-1022/89 (ऑल इंडिया जजेज एसोसियेशन बनाम भारत संघ एवं अन्य) से संबंद्ध आई.ए. सं0-279/10 में पारित न्यायादेश के आलोक में अधिनस्थ न्यायालयों में आधारभूत संरचना के संबंध में।
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उदय शंकर मिश्र कहला कि वर्ष 2004 में पटना उच्च न्यायालय मैथिली के पक्ष में न्यायादेश देने छला जकरा विरोध में तत्कालीन राबड़ी सरकार एकर खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील केने छल।
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बहुमुखी प्रतिभा के धनी और हिन्दी में न्यायादेश लिखने वाले पटना उच्च न्यायालय के प्रथम न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश्वर प्रसाद मंडल ‘मणिराज ' का जन्म मधेपुरा जिला के गढिया में २० फरवरी १९२० को हुआ था.
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यदि किसी न्यायाधीश का न्यायादेश उच्चतर न्यायाधीश द्वारा निरस्त अथवा उलटा जाता है तो यह पूर्व न्यायाधीश की अक्षमता मानी जायेगी और उसे न्याय करने के अयोग्य घोषित किया जाकर पदमुक्त किया जायेगा.
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उन्होंने बताया कि सवोच्च न्यायालय के न्यायादेशों व उच्च न्यायालय के न्यायादेश के अनुसार भारत के संविधान के तहत सभी निर्वाचनों की पवित्र्ाता एवं शूचिता को अक्षुण्ण रखना देश के प्रजातंत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।
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में पारित न्यायादेश के आलोक में पुनः उत्पादन कार्य शुरू करने की सूचना दी है |न्यायादेश के आलोक में प्रयोगशाला सुविधा की जांच की प्रक्रिया की जा रही है |कृषि निदेशालय से तदोपरांत समुचित आदेश पारित किया जाएगा
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उन्होंने कहा कि प्रा. शि. संघ जिला मुख्यालय से लेकर राज्य मुख्यालय तक लगातार घारावाहिक घरना प्रदर्शन करता रहा है, इसी बीच माननीय उच्च न्यायालय पटना का भी न्यायादेश शिक्षक हित में पारित हुआ है ।