क्योंकि अंतिम सांस तक किसी व्यक्ति को न्यायिक उपचार का अधिकार हासिल है और सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक़ अगर दया याचिका को ख़ारिज किए जाने में लंबा वक़्त लगता है तो वह फिर से सुप्रीम कोर्ट जाकर अपने मृत्युदंड को माफ़ करने के लिए अर्जी लगा सकता है।
12.
अगर छत्तीसगढ़ के कोने-कोने से लोग पत्रिका अखबार के विरुद्ध मुकदमा कर रहे हैं या जैसा कि शिकायत की गयी है, अगर ऐसे मुक़दमे कराये भी जा रहे हों तो अखबार को उसका सामना करना चहिये न कि आपके यहां शिकायत कर न्यायिक उपचार पाने के व्यक्ति के संवैधानिक अधिकार को बाधित करने की बेजा कोशिश की जानी चाहिए.
13.
अगर छत्तीसगढ़ के कोने-कोने से लोग पत्रिका अखबार के विरुद्ध मुकदमा कर रहे हैं या जैसा कि शिकायत की गयी है, अगर ऐसे मुक़दमे कराये भी जा रहे हों तो अखबार को उसका सामना करना चहिये न कि आपके यहां शिकायत कर न्यायिक उपचार पाने के व्यक्ति के संवैधानिक अधिकार को बाधित करने की बेजा कोशिश की जानी चाहि ए.
14.
पत्रिका के खबर की तर्ज़ पर ही उस न्यूज़ चैनल ने कुछ दिन तक मुख्यमंत्री के विरुद्ध अभियान चलाया था लेकिन कोई सबूत हाथ नहीं आने पर उस चैनल ने सार्वजनिक रूप से खेद भी जताया (http://www.youtube.com/watch?v=8GDuLkmRfGU) लेकिन पत्रिका अपने खास एजेंडे के कारण अपनी हठधर्मिता पर अड़ा हुआ है और निश्चित ही न्यायिक उपचार के अलावा दूसरा कोई भी विकल्प इस मामले में पीड़ित पक्ष के पास बचा हुआ नहीं है.