भूतकालीन लेन देनों और व्यवहारो के लिए भूतपूर्व भारतीय राज्य के राजाओं को न्यायोचित रूप से संरक्षण दिया जा सकता है लेकिन केन्द्र सरकार इस बात की जांच कर सकती है कि 26 जनवरी 1950 के बाद लेनदेनों को ऐसे संरक्षण की आवष्यकता है या चालू रहना चाहिए।
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जो मिसाल हमने पेश किये हैं उनसे यह बात स्पष्ट हो जाती है कि किस तरह के क़ानून न होना इंसान के लिए बहुत ज़्यादा नुक़सानदे साबित हो सकता हैं इस लिए कि अक़्ल न्याय और निष्पक्षता का सपोर्ट करती हैं लेकिन सही नीति अपनाने के लिए जो न्याय और निष्पक्षता पर आधारित हो हम क़ानून की ज़रूरत का आभास करते हैं जैसे अक़्ल यह हुक्म देती है कि केस्पियन सी के स्टोर को पड़ोसी मुल्कों में न्यायोचित रूप से विभाजित होना चाहिए तो उस समय यह सवाल पैदा होगा कि न्यायोचित विभाजन किसे कहते हैं?