दोनों अभियुक्तगण ने धारा-313दं0प्र0सं0 में स्वयं का मजदूर होना बताया है, इसलिए या तो दोनों अभियुक्तगण पॉवर ग्रिड के कर्मचारियों से यह जानते हुए कि यह तार कर्मचारियों ने आपराधिक न्यास भंग करते हुए अपने कब्जे में रखे हुए हैं, सस्ते दाम में उनसे प्राप्त करके कबाड़ी को ऊंचे दाम में बेचने के लिए लाये थे या पॉवर ग्रिड में लेबरी का काम करते हुए स्वयं इन तारों को विभाग को सौंपने की बजाय स्वयं बाजार में लाकर न्यास भंग कर संपत्ति का दुर्विनियोजन किया।
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ऐसे समय में जबकि नैतिक मूल्य तेजी से गिर रहे हों और सार्वजनिक जीवन में चरित्र का संकट दिखाई देता हो वर्तमान जैसे प्रकरण में जब लोक प्रशासन में स्वच्छता का प्रश्न हो तो इस न्यायालय को समाज के प्रति अपना कर्तव्य समझना चाहिए कि एक उच्च पदाधिकारी पर आपराधिक न्यास भंग या भ्रष्टाचार के आरोपण का अपराध संलिप्त हो अभियोजन गलत ढंग से वापिस की परीक्षा करे और यह ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए की उच्च न्यायालय या निचले न्यायालय के कितने न्यायाधीश इस प्रकार की वापिस लेने की सहमति के पक्षकार रहे हैं।