अहम सवाल यह है कि क्या हम मनरेगा से पहले न्यूनतम मजदूरी दर की शर्तों को पूरा कर रहे थे?
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इस कारण कई राज्यों में मनरेगा के तहत तय मजदूरी दर राज्य सरकारों द्वारा घोषित न्यूनतम मजदूरी दर से कम है.
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आॅल मजदूर शक्ति संघ के प्रमुख इकबाल मट्टू ने कहा कि सरकार ने न्यूनतम मजदूरी दर की हाल ही में समीक्षा की है।
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जिसमें सभी विद्यालय के रसोइया को स्थायी करने, सभी रसोइया का झारखंड सरकार के तहत न्यूनतम मजदूरी दर लागू करने, वर्तमान में मिल रहे...
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मसलन राजस्थान में न्यूनतम मजदूरी दर इन दिनों 135 रूपए है, लेकिन बढ़ी हुई दरों पर यहां कुल जमा 119 रूपए ही मिलेंगे।
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सरकार ने 2005 में राष्ट्रीय ग्राम रोजगार गांरटी कानून पास किया, ताकि ग्राम परिवारों के बालिग सदस्यों को न्यूनतम मजदूरी दर पर वर्ष में 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जा सके।
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सच यह है कि न्यूनतम मजदूरी कानून के तहत न्यूनतम मजदूरी दर घोषित करने की प्रक्रिया को नौकरशाहों और राजनेताओं की मदद से उद्योगपतियों-व्यापारियों-ठेकेदारों-जमींदारों के गठजोड़ ने हाइजैक कर लिया है.
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सरकार ने 2005 में राष्ट्रीय ग्राम रोजगार गांरटी कानून पास किया, ताकि ग्राम परिवारों के बालिग सदस्यों को न्यूनतम मजदूरी दर पर वर्ष में 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जा सके।
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लेकिन सबसे बडा सवाल यह है कि जिस न्यूनतम मजदूरी दर को आधार बनाकर इसे बढा़या गया है, कुछ राज्यों में अब भी मनरेगा के तहत उतनी रकम नहीं मिलने जा रही।
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सरकार को चाहिए वह हरेक श्रेणी के मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी दर 500 रुपये तय करे ताकि उन्हें खाना मिल सके और उनके बच्चों को स्कूल जाने का भी मौका मिल सके।