इसका प्रयोग केवल परिचय व पते के सबूत के तौर पर एक-दो बार ही हुआ होगा वह भी जहाँ पैन-कार्ड पर्याप्त न समझा गया हो।
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यह जनाधार क्यों और किन परिस्थितियों में आया, यदि उसे न समझा गया तो इस देश में सिद्धांतों की नहीं बल्कि मजबूरी, सुविधा और स्वार्थ की राजनीति ही होती रहेगी।
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बाहर जो दीख रहा है, वो अंदर के क्रियाकलापों से नियमित होता है और जब तक उसको न समझा गया, तब तक मानवीय मन को समझना संभव नहीं होगा।
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हर सूरत जब इस तरह जनाबे सैयिदा (अ 0 स 0) का दअवा मुस्तरिद कर दिया गया और फिदक को हिबए रसूल न समझा गया, तो आप ने मिरास की रु से उस का मुतालबा किया कि अगर यह तुम नहीं मानते कि पैगमबरे अकरम (स 0) ने मुझे हिबा किया था तो इस से तो इंकार नहीं कर सकते कि फदक पैगमबर (स 0) की मख्सूस मिल्कियत था और मैं उन की तन्हा वारिस हूं।