परिवार के बारे में जितना उनको नहीं पता था उससे कई गुना ज्यादा जानकारी वहां के पंजीकार ने उन्हें दे दी.
12.
इस गाँव में तथा अन्यत्र रहने वाले पंजीकार इस क्षेत्र के ब्राह्मणों की वंशावली रखते हैं और शादियाँ तय करने में इनकी अहम भूमिका होती है।
13.
इस गाँव में तथा अन्यत्र रहने वाले पंजीकार इस क्षेत्र के ब्राह्मणों की वंशावली रखते हैं और शादियाँ तय करने में इनकी अहम भूमिका होती है।
14.
में आरंभ की गई पंजी-व्यवस्था, इस व्यवस्था से उत्पन्न पंजीकार या घटक का एक नया वर्ग, बिकौआ प्रथा आदि ने स्त्री-दशा को विशेष रूप से प्रभावित किया।
15.
पिलखवाड़ ग्राम वासी पंजीकार जयनाथ शर्मा मैथिल ने जो मैथिल ब्राह्मण वंशावली बनाई और सुगौना के बालकृष्ण शर्मा ने छपाई हैं, उससे भी भारद्वाज गोत्र के वर्णन में दम्मकरिए मूल आया है।
16.
पंजीकार कन् या और वर के पिछले आठ पुश् तों का अभिलेख देखकर यह जांचता है कि कन् या के मातृपक्ष से पांचवी पीढ़ी और पितृपक्ष से सातवीं पीढ़ी तक वर के पूर्वजों के साथ कोई ऐसा सम् बंध तो नहीं हुआ है, जिससे वर और कन् या भाई-बहन हो जाएं।