कागज संख्या 16ए / 12 छाया प्रतिलिपि शपथ पत्र मोइद अली का है परन्तु उक्त प्रपत्र छाया प्रतिलिपि होने के कारण पढे जाने योग्य नहीं है तथा इस स्तर पर शपथ पत्र द्वारा दिया गया साक्ष्य भी पढे जाने योग्य नही है।
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लोक अभियोजक का तर्क हैकि राजेन्द्रसिंह चारण का यह संस्वीकृति का बयान दोनों अभियुक्तगण के विरूद्ध पढे जाने योग्य हैं तथा अभियोजन साक्ष्य के अनुमोदन के लिये भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 30 के तहत इसे पढा जा सकता है।
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उनका यह भी कहना हैं कि अभियुक्त को व्यक्तिगत तौर पर आवाज का परीक्षण का कोई नोटिस तामील नही हुआ था इसलिये फर्द ट्रान्सक्रीप्ट साक्ष्य में पढे जाने योग्य नही हैं क्योंकि प्रयोगशाला से आवाज का परीक्षण नही कराया गया है।
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उनका यह भी तर्क हैं कि विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट साक्ष्य में पढे जाने योग्य नही है क्योंकि धोवन के नमूनो को सील करने से रसायनिक जॉच तक पहूंचाने की कडी साबित नही हैं अतः उनकी प्रार्थनाहैं कि अभियुक्त को दोषमुक्त किया जावे।
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हेतराम, मदनसिंह एवं भॅवरसिंह से की गई प्रतिपरीक्षा में उनकी साक्ष्य को सन्देहास्पद कराने के लिये कोई प्रश्न नही पूछा गया हैं तथा साक्ष्य में एसा कोई तथ्य सामने नही आया हैं कि तीनों व्यक्तियों के अलावा अन्य किसी भी व्यक्ति के हाथ मे ये शीशीयॉ रही अतःयह विधि विज्ञान प्रयोगशाला में शीशीयॉ जमा कराने की कडी पूर्णतया साबित हैं तथा विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट साक्ष्य में पढे जाने योग्य है।