यह महान है पता है कि आप समय ले लिया करने के लिए हमें किसी के बारे में पता बस पानी के लिए चाहते हैं कि अधिक व्यर्थ विपणन गंदगी नीचे.
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जिसकी वजह से हम समूह के तौर पर उल्लेखनीय विकास नहीं कर पा रहे है?......... मैं इस बैठक में पहली बार आई हूँ! इसलिए मुझे यहाँ के नियम भी नहीं पता बस जो अच्छा लगा कह दिया!
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अगर वो दूर हो तो कुछ अच्हा नहीं लगता है, ना खाने का होश रहता हा ना पिने का अगेर कोई बात कर रह हा तो क्या बोल रह हा कुछ नहीं पता बस दिमाग में एक ही ख्याल क्या कर रही होगी या होगा वो!
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मेरे दोस्त कभी नहीं रहे, स्कूल...कॉलेज कहीं भी...ठीक कारण मुझे नहीं पता बस ऐसा हुआ कि कई साल अकेले लंच करना पड़ा है...ऐसे में दो ही ओपशंस थे...या तो खाना ही मत खाओ या कोई किताब खोल लो और उसके किरदार को साथ बुला लो बेंच पर और उसके साथ पराठे बाँट लो.
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ठीक उसी तर्ज पर हमारे अति उत्साही नेता जातिवाद का जहर फैला भारतीय लोकतंत्र को खोखला कर तहस-नहस कर रहे हैं भारत में आरक्षण के लिये जाति निर्धारण का पैमाना क्या है किसी को भी नही पता बस हम सब आरक्षण की इस अंधी दौड़ में हर कोई अपने को हर कीमत पर सम्मिलित कराना चाहता है।
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जय हिंद दोस्तों, आख़िर एक लंबे इंतज़ार और बहुत सी टालमटोल के बाद वो दिन आ ही गया जब मैं इस यात्रा की शुरूआत कर रहा हूं इस यात्रा का जिसका न तो आज कोई रास्ता निर्धारित है और ना ही कोई मंजिल का पता बस उद्देश है की आप सबके और करीब आ सकूँ आपका प्यार, आशीर
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जय हिंद दोस्तों, आख़िर एक लंबे इंतज़ार और बहुत सी टालमटोल के बाद वो दिन आ ही गया जब मैं इस यात्रा की शुरूआत कर रहा हूं इस यात्रा का जिसका न तो आज कोई रास्ता निर्धारित है और ना ही कोई मंजिल का पता बस उद्देश है की आप सबके और करीब आ सकूँ आपका प्यार, आशीर...
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April 2002 आज दोपहर में खाने के वक़्त अचानक मम्मी बाहर से दौड़ती हुई आयीं और बोलीं मनोज ने आत्महत्या कर ली है, मैंने पूछा क्यूँ, वो बोलीं इसका तो किसी को नहीं पता बस मामा मामी गाँव जा रहे हैं उसके अंतिम संस्कार के लिए, मेरी कोई प्रतिक्रिया न होती देख वो शायद भांप चुकी थीं के कुछ गड़बड़ हो गयी है …
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तुम किसी को प्यार है जो तुम से अपने पैर को क्या लिख रहे? इस आदमी को क्या पता बस क्या कहना या लिखना है कि आप एक या दो कदम नीचे उद्यान मार्ग [? आगे * बी. आर. *] [* बी. आर. *] शायद ज्यादा खतरनाक हो जाता है लगता है कुख्यात इंटरनेट बलात्कारी और हत्यारों के साइबर Lotharios हैं.
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उससे भी बड़ी बात भारत में ही नौकरी लगना रात दिन एक करके हम भी नौकरी शुदा हो गये. शहर से बाहर हुए हम सच भूल चुके थे कई लोगों को.भुलावे वाली उस सूची में ये गोल मटोल टाइप के महाशय भी शुमार हैं.न तो नाम याद रहा न पता बस इतना याद रहा कि एक अफ़सर का लड़का जो गोल मटोल शांत टाईप का आता था मित्र मंडलीयों में वो बाहर है.