रंजना जी, अपना आभार प्रकट करता हूँ-आपने इतनी सारी बातों को ससक्त रूप से रखा | पर दिक्कत ये है की: “कुपथ पथ जो रथ दौडाता, पथ निर्देशक वही है ” |
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रंजना जी, अपना आभार प्रकट करता हूँ-आपने इतनी सारी बातों को ससक्त रूप से रखा | पर दिक्कत ये है की: “ कुपथ पथ जो रथ दौडाता, पथ निर्देशक वही है ” |
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कुपथ कुपथ रथ दौड़ाता जो पथ निर्देशक वह है, लाज लजाती जिसकी कृति से धृति उपदेश वह है, मूर्त दंभ गढ़ने उठता है शील विनय परिभाषा, मृत्यू रक्तमुख से देता जन को जीवन की आशा, जनता धरती पर बैठी है नभ में मंच खड़ा है, जो जितना है दूर मही से उतना वही बड़ा है.
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रात की बात * डॉ शैल रस्तोगी जी के हाइकुओं पर आधारित हाइगाः * * अगली प्रस्तुति में-डॉ रमा द्विवेदी जी * * * * * * सारे चित्र गूगल से साभार * कुपथ रथ दौड़ाता जो आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री की कविताएं-2 * कुपथ रथ दौड़ाता जो कुपथ कुपथ रथ दौड़ाता जो पथ निर्देशक वह है, लाज लजाती जिसकी कृति से धृति उपदेश वह है।