पुनर्चक्रण इससे इस अर्थ में अलग है कि पुनर्चक्रण में प्रयोग किये गये सामान को तोडकर या बर्बाद करके पदार्थ रूप में बदल दिया जाता है.
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पुनर्चक्रण इससे इस अर्थ में अलग है कि पुनर्चक्रण में प्रयोग किये गये सामान को तोडकर या बर्बाद करके पदार्थ रूप में बदल दिया जाता है.
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बीसवीं सदी से पहले गढवाल-कुमाऊं में कई वनस्पतियों का उपयोग भोज्य पदार्थ रूप में होता था जो ब्रिटिश काल में समाप्त भी हो गया जैसे सेमल के कच्चे घोघाओं की सब्जी ।
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संसार तीन तरह की शक्तियों के संयुक्त बन्धन से संचालित हो रहा है, जिसको स्थूल रूप से तीन वर्गों में बाँट कर समझ सकते हैं, पहला भौतिक आधार पर वात, पित्त और कफ आध्यात्मिक आधार पर ब्रम्हा, विष्णु और महेश और वैज्ञानिक रूप से प्रोटान, इलेक्टॉन, व न्यूट्रॉन की बाइन्डिंग एनर्जी इन्हीं के आधार पर यह सृष्टि पदार्थ रूप में साकार दिखाई देती है ।