रोज़ी-रोटी की तलाश में दिल्ली जाना हुआ-तो देखा-बेघर लोग वीरान से चेहरे लिए-उस ज़मीन की ओर देख रहे होते, जहां उन्हें पनाहगीर कहा जाने लगा था...
12.
कोई साल भर से भी ज्यादा एक पनाहगीर की ज़िंदगी बसर करने के बाद, एक रात मुझे बताया गया कि हम अगले दिन घर लौट रहे हैं.
13.
जब भी मैं कभी पंडित जी (ओम प्रकाश पनाहगीर के पिता जी, जो मेरे साथ टीचर थे) के घर से खट्टी लस्सी मंगवाता था तो वे लड़कियाँ चाहती थी कि लस्सी वे अपने घर से ला दिया करें।
14.
अपनी मासूमियत में मैं पूछ बैठा, “मैं कहाँ हूँ?”और पहली बार यह लफ्ज़ सुना “लेबनान.” कोई साल भर से भी ज्यादा एक पनाहगीर की ज़िंदगी बसर करने के बाद, एक रात मुझे बताया गया कि हम अगले दिन घर लौट रहे हैं.