अतः उक्त नजीरों के तथ्य वर्तमान प्रकरण के समान पाये जाते है जिसमें प्रतिपादित सिद्धान्तों के आलोक मे वर्तमान वाद मे घोशणा के अलावा अन्य किसी परिणामिक अनुतोश को मॉगने की कोई आवष्यकता नही पाई जाती है।
12.
भारत सरकार द्वारा जुलाई 1991 में प्रारंभ की गई आर्थिक सुधार की प्रक्रिया और लाइसेंसराज की समाप्ति तथा चिह्नित क्षेत्रों में विदेशी निवेश के स्वयंमेव अनुमोदनों के रूप में परिणामिक औद्योगिक नीति सुधारों / पहलों ने महत्वपूर्ण निवेशक हितों का सृजन किया है।
13.
उक्त नजीर के प्रकरण के अनुसार बीमित ट्रक की हानि के सम्बन्ध मे क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के अधिकार के लिये घोशणात्मक वाद प्रस्तुत किया गया था परन्तु ट्रक के क्षतिपूर्ति के भुगतान के सम्बन्ध मे कोई परिणामिक अनुतोश नही चाहा गया था।
14.
प्रतिवादी संख्या-1 / 1 लगायत 1/3 ने मध्य प्रदेष राज्य बनाम मॉगी लाल षर्मा (1998) 2 एस. सी. सी. 510 की नजीर पर बल दिया है परन्तु उक्त नजीर के प्रकरण मे सेवा मे बने रहने के सम्बन्ध मे घोशणा चाही गई थी परन्तु बकाया वेतन एवं परिणामिक अनुतोश की मॉग नही की गई थी जब कि वर्तमान प्रकरण मे ऐसा भी कोई तथ्य प्रष्नगत नही है।
15.
वादीगण ने धारा 17 में जो अनुतोष की मॉग किया है कि विक्रय विलेख पत्र अवैध निष्प्रभावी व शून्य घोषित किया जाये बिलकुल गलत है क्योकि धारा 34 विशिष्ट अनु0 अधि0 के अन्तर्गत किसी अभिलेख के अवैध घोषित कराना है तो परिणामिक अनुतोष की भी मॉग करनी चाहिए जो नही किया गया है अतएवं वादीगण किसी भी अनुतोष को प्राप्त करने के अधिकारी नही है।
16.
और इसके बाद ८ ५ वां संविधान संशोधन अधिनियम २ ०० १ द्वारा खंड ४ क में शब्दावली ' ' किसी वर्ग के लिए प्रोन्नति के मामले में '' के स्थान पर '' किसी वर्ग के लिए प्रोन्नति के मामले में परिणामिक श्रेष्ठता के साथ '' शब्दावली अंतःस्थापित की गयी जो इस संशोधन अधिनियम को १ ७ जून १ ९९ ५ से लागू करती है जिस दिन ७७ वां संशोधन अधिनियम लागू हुआ.
17.
अनुतोश की मॉग नही की है अतः परिणामिक अनुतोश की मॉग न संख्या-1 / 1 लगायत 1/3 का यह भी कथन है कि वादनी को प्रष्नगत प्रतिकर धनराषि के सम्बन्ध मे उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त करना चाहिए था इसके विपरीत वादनी का कथन है कि प्रष्नगत प्रतिकर धनराषि के वास्तविक स्वामी के निर्धारण होने तक उक्त प्रतिकर धनराषि तृतीय पक्ष के पास अर्थात विषेश भूमि 13 अध्याप्ति अधिकारी कार्यालय मे जमा है इसलिये वादनी को बिना किसी परिणामिक अनुतोश के मात्र घोशणात्मक अनुतोश पत्र भी प्राप्त करना आवष्यक नही था।
18.
अनुतोश की मॉग नही की है अतः परिणामिक अनुतोश की मॉग न संख्या-1 / 1 लगायत 1/3 का यह भी कथन है कि वादनी को प्रष्नगत प्रतिकर धनराषि के सम्बन्ध मे उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त करना चाहिए था इसके विपरीत वादनी का कथन है कि प्रष्नगत प्रतिकर धनराषि के वास्तविक स्वामी के निर्धारण होने तक उक्त प्रतिकर धनराषि तृतीय पक्ष के पास अर्थात विषेश भूमि 13 अध्याप्ति अधिकारी कार्यालय मे जमा है इसलिये वादनी को बिना किसी परिणामिक अनुतोश के मात्र घोशणात्मक अनुतोश पत्र भी प्राप्त करना आवष्यक नही था।