मैंने १ ९ ८ ५ में ' प्रकारान्तर ' नाम से एक लघुकथा संकलन सम्पादित किया था, जो अनेक परिवर्तन-परिवर्धन के पश्चात १ ९९ १ में प्रकाशित हुआ था.
12.
इस दिशा में क्षेत्रीय आवश्यकता के अनुसार राजभाषा अधिकारियों को ग्राहकों को भेजे जानेवाले पत्रों में यथानुसार भाषागत परिवर्तन-परिवर्धन कर ग्राहकों के संग सशक्त और संगत सम्प्रेषण निर्मित करना होगा ताकि रिश्तों की बुनियाद और मजबूत हो।