इन ग्रामों के अनुसूचित जाति, जनजाति, कहार, मानकर समाज के परिवार मजदूरी कर जीवन-यापन कर रहे है।
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यह आदिवासी परिवार मजदूरी करने के बाद जो राशि मिलती है उसका उपयोग अन्य कार्यों में कर रहे हैं, ऐसे करने से उनकी माली हालत में सुधार आया है।
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वह कहते है कि वह सरकारी स्कूल में पढ़ते है कभी कभार स्कूल भी जाते है, परंतु घर की स्थिति खराब होने से पूरा परिवार मजदूरी करके पैसा कमाता है।
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गुजरात में कार्य करने वाले प्रति व्यक्ति को प्रतिदिन 3 सौ से 4 सौ रूपए मजदूरी के मिल जाते हंै अतिरिक्त समय देने पर इनको अच्छा-खासा रूपया अलग से मिल जाता है जिसके कारण पूरा का पूरा परिवार मजदूरी करता है।
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जहा भगत सिंह, उधम सिंह का परिवार मजदूरी करके अपना पेट पाल रहा है वही मदन लाल धींगडा का घर खंडहर बन चुका है जिसकी और सरकार ध्यान नही देती! कुछ एसा ही हाल है पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के घर का और मंगल पाण्डेय के परिवार का! लेकिन शांति अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले महात्मा गाँधी को नोटों से लेकर सडक के चोक-चोराहो पर छापा और लगाया जा रहा है!