जंगलों में टेशू लाल अंगारों से दहक उठेंगे, कचनार सफेद-गुलाबी फूलों से लद जाएंगे और पर्णविहीन सेमल के पेड़ों पर लाल मांसल फूलों की बहार आ जाएगी।
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इसके इस पर्णविहीन एवं फिर फूलों से लटालूम स्वरूप को देखकर ही मन कह उठता है-' पत्ता नहीं एक / फूल हजार क्या खूब छाई है / सेमल पर बहार।
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वसन्त ऋतु का जन्मदिवस प्रज्वलित अंगारों की भाँति पलाश के पुष्प! पर्णविहीन सेमल के विशाल वृक्षों की फुनगियों पर खिले रक्तवर्ण सुमन! मादकता उत्पन्न करने वाली मंजरियों से सुशोभित आम्रतरु! अनेक रंग के कुसुमों से आच्छादित लता-विटपों... आज...
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“ धान के देश में! ” जी. के. अवधिया मन रहे हैं वसंत पंचमी, आप भी शामिल होना चाहें तो पहुँच जाइये वसन्त पंचमी-वसन्त ऋतु का जन्मदिवस प्रज्वलित अंगारों की भाँति पलाश के पुष्प! पर्णविहीन सेमल के विशाल वृक्षों की फुनगियों पर खिले रक्तवर्ण सुमन! मादकता उत्पन्न करने वाली मंजरियों से सुशोभि त...
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प्रज्वलित अंगारों की भाँति पलाश के पुष्प! पर्णविहीन सेमल के विशाल वृक्षों की फुनगियों पर खिले रक्तवर्ण सुमन! मादकता उत्पन्न करने वाली मंजरियों से सुशोभित आम्रतरु! अनेक रंग के कुसुमों से आच्छादित लता-विटपों से सुशोभित एवं भाँति-भाँति के पक्षियों की मनोहारी स्वर लहरियों से गुंजित वन-उपवन! चहुँ ओर प्रवाहित होती शीतल-मन्द-सुवासित समीर! पवन झकोरों की मार से गिरे रंग-बिरंगे पुष्पों सुशोभित धरा! पीत-प्रसून आच्छादित सरसों के खेत।