यदि पौधों में पोषक तत्वों की कमी हो तो पानी में घुलनशील एन0 पी0 के0 मिश्रण का पर्णीय छिड़काव करें।
12.
/ लीटर पानी और सल्फर २ ग्राम / लीटर के घोल बनाकर पर्णीय छिडक़ाव पत्तियों की निचल सतह पर करना चाहिए।
13.
धान में रोपाई के १५-२० दिन बाद और गेंहू, मक्का में बुआई के२०-२५ दिन बाद जिंक सल्फेट का पर्णीय छिड़काव करना चाहिए.
14.
इसके लिए 10 ग्राम उत्तम एन पी के (19: 19: 19) प्रति लीटर पानी के हिसाब से पर्णीय छिड़काव करें।
15.
नियंत्रण-इस रोग के नियंत्रण के लिए २ ग्राम / लीटर के हिसाब से मेटालेक्जिल मेंकोजेब नाम रसायन का मिर्च की फसल पर पर्णीय छिडक़ाव करें।
16.
३ प्रतिशत घोल का १५ दिन के अन्तर पर दो बार पर्णीय छिड़काव करना चाहिए. इसकेउपरान्त वर्षा ऋतु में इसी दवाई के ३-४ छिड़काव और करने चाहिए.
17.
पर्णीय छिड़काव के लिए 5 कि. ग्रा. ओ.सी.आई. 21% जिंक सल्फेट और 2.5 कि.ग्रा. बुझे हुए चुने को पांच सौ लीटर पानी में घोलकर पत्तियों पर इसका छिड़काव करना चाहिये।
18.
किसी कारण वश खेत में जिंक का प्रयोग नहीं किया गया और खड़ी फसल में जिंक की कमी अनुभव की जाये तो जिंक सल्फेट का पर्णीय छिड़ाव किया जा सकता है।
19.
विधि से बुवाई के लिए २० किग्रा० नत्रजन धान की कटाई के बाद टापड्रेसिंग करें तथा फास्फोरस ३० किग्रा० को दो बार फूल आने तथा फलिया बनते समय पर्णीय द्दिड़काव करें।
20.
८. टॉपड्रेसिंग वाले उर्वरको का पर्णीय छिडकाव करना जादा लाभदायक होता है | ९. खेत में पानी लगने हेतु खेत में छोटी-छोटी क्यारियाँ बनाकर पानी लग्गाने से पानी की बचत होती है |