जो लोग किलिमंजारो पर चढ़ाई करना चाहते हैं उन्हें उपयुक्त शोध करने की सलाह दी जाती है [14] और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा जाता है कि वे उचित रूप से लैस हैं और शारीरिक रूप से सक्षम हैं.
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जैसे अहमदशाह बादशाह के सेनापति असद खाँ के फतहअली पर चढ़ाई करने पर सूरजमल का फतहअली के पक्ष में होकर असद खाँ का ससैन्य नाश करना, मेवाड़, माड़ौगढ़ आदि जीतना, संवत् 1804 में जयपुर की ओर होकर मरहठों को हटाना, 1805 में बादशाही सेनापति सलावतखाँ बख्शी को परास्त करना, संवत् 1806 में शाही वजीर सफदरजंग मंसूर की सेना से मिलकर बंगश पठानों पर चढ़ाई करना, बादशाह से लड़कर दिल्ली लूटना, इत्यादि।