यदि भूले से कभी सरकार कुछ लाभांश प्राइवेट कर्मचारियों के हित मे देती भी है तो वो भी ईमानदारी से उनको मिलता ही नही है क्या इस तरफ़ किसी का ध्यान नही जाता जबकि सबसे अधिक ख़ून पसीना बहाने वाला प्राइवेट सेक्टर का ही कर्मचारी होता है उसके लिए कभी भी सरकार द्वारा अधिक से अधिक या हर विधेयक मे लाभांश दिए जाने की कोई योजना नही होती है.