३ खाने की कुच्छ स्वादिष्ठ चीज़ हमेशा बच्चे की पहुँच के अन्दर हो-“अन्ना का कोना”४ जब भी कुच्छ दान करने का मन हो तो पोषक आहार खरीद कर वहाँ दें जहाँ बच्चे रहते हों-यह दान ही इश्वर और ब्राहमण को जाएगा।
12.
३ खाने की कुच्छ स्वादिष्ठ चीज़ हमेशा बच्चे की पहुँच के अन्दर हो-“अन्ना का कोना” ४ जब भी कुच्छ दान करने का मन हो तो पोषक आहार खरीद कर वहाँ दें जहाँ बच्चे रहते हों-यह दान ही इश्वर और ब्राहमण को जाएगा।
13.
कुपोषण के ख़िलाफ़ उन्होंने जो एक बात सुझाई है वह है-“ अन्ना का कोना ”-घर के अन्दर एक ऐसा चबूतरा / डलिया हो जहाँ खाने के विभिन्न सामान रखें हो और वह घर के सबसे छोटे बच्चे की पहुँच के अन्दर हो.
14.
३ खाने की कुच्छ स्वादिष्ठ चीज़ हमेशा बच्चे की पहुँच के अन्दर हो-“ अन्ना का कोना ” ४ जब भी कुच्छ दान करने का मन हो तो पोषक आहार खरीद कर वहाँ दें जहाँ बच्चे रहते हों-यह दान ही इश्वर और ब्राहमण को जाएगा।
15.
एक ऐसा मंच हो जहाँ से आप सभी (एक सी सोच वालों) तक पहुँचा जा सके, अपनी कही और आपकी सुनी व समझी जा सके-प्रयास यही रहेगा कि विश्व की हर संस्कृति और साहित्य में जो जानने और समझने लायक है और हमारी पहुँच के अन्दर है आपतक पहुँचे।
16.
राम-नाम की विशेषता यह है कि वह परमात्मा के निर्गुण स्वरुप की तरह अविनाशी होते हुए उसके सगुण रूप के सामान हमारी पहुँच के अन्दर है, क्योंकि इसके बाहरी वर्णात्मक नाम को बोला या सूना जा सकता है और आन्तरिक धुनात्मक नाम को आन्तरिक प्रकाश और आन्तरिक शब्द के रूप में अन्दर देखा और सूना जा सकता है ।
17.
परमात्मा अपने निगुण स्वरुप में अविनाशी है (अच्छाई), पर यह अगम और अगोचर, अर्थात हमारी पहुँच से बाहर है (त्रुटि), जबकि अपने सगुण (मनुष्य) रूप यह सुगम और इन्द्रिय-गोचर, अर्थात हमारी पहुँच के अन्दर है (अच्छाई), पर यह आम इन्सान की तरह नश्वर है (त्रुटि) ।
18.
बहुत दिनों से आँखों में एक सपना पल रहा था कि हम विश्व में फैले भारतीयों का (भारतीयों का ही क्यों, हर उस इन्सान का जो सुन्दर और कल्याणकारी का हिमायती ऐसा मंच हो जहाँ से आप सभी (एक सी सोच वालों) तक पहुँचा जा सके, अपनी कही और आपकी सुनी व समझी जा सके-प्रयास यही रहेगा कि विश्व की हर संस्कृति और साहित्य में जो जानने और समझने लायक है और हमारी पहुँच के अन्दर है आपतक पहुँचे।