लेकिन पीछे से आती भीड़ को वहाॅं खड़े रहने में कोई दिलचस्पी न थी, वह जल्दी से रिंग तक पहुॅंचना चाहती थी, वहाॅं खड़े लोगों को हटाने के लिये धक्कामुक्की करती, दर्शकों को आगे बढ़ना पड़ता और वे कलाकार को देर तक, निगाह भर नहीं देख पाते थे।
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लेकिन पीछे से आती भीड़ को वहाॅं खड़े रहने में कोई दिलचस्पी न थी, वह जल्दी से रिंग तक पहुॅंचना चाहती थी, वहाॅं खड़े लोगों को हटाने के लिये धक्कामुक्की करती, दर्शकों को आगे बढ़ना पड़ता और वे कलाकार को देर तक, निगाह भर नहीं देख पाते थे।
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सर्वकालिक महानतम उपवासी कलाकार होना भर नहीं, यह महिमा तो वह संभवतः हासिल कर ही चुका था ; वह तो अपने ही द्वारा रचे प्रतिमानों को पार कर अनछुई उॅंचाईयों तक पहुॅंचना चाहता था क्योंकि उसका दृढ़ विश्वास था कि उसमें भूखा रहे आने की अप्रतिम क्षमता है।
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लेकिन पीछे से आती भीड़ को वहाॅं खड़े रहने में कोई दिलचस्पी न थी, वह जल्दी से रिंग तक पहुॅंचना चाहती थी, वहाॅं खड़े लोगों को हटाने के लिये धक्कामुक्की करती, दर्शकों को आगे बढ़ना पड़ता और वे कलाकार को देर तक, निगाह भर नहीं देख पाते थे।