बाबा के बाद अब अन्ना के ‘ ऐशो-आराम ' पर होने वाली पाई पाई का हिसाब ‘ अर्थशास्त्री मनमोहन ' सरकार के ‘ दिग्गी-सिब्बल ' लगाने में मशगूल हैं.
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मालिक लोग पाई पाई का हिसाब रखने वाले थे लेकिन ये सोच कर अंजान बने रहे की इसी बहाने एक दिन समझ आएगी और खुद को धंधे से अलग करके जिंदगी का मजा लेंगे।
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अगर इंसान के दिल में भगवान द्वारा सज़ा देने का भय चाहे इस दुनिया में ये मारदौपरांत हो तो कभी भरसतचार के ज़रिए कमाई नही करेगा क्योंकि मरने के बाद पाई पाई का हिसाब चुकाना होगा.
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, उसे चोर घोषित कर दिया सब्जी वाले ने प्रतिउत्तर में तराजू का सही माप दिखाकर अपनी विश्वसनीयता साबित की और अंत में कहा:-“ साहब अगर इस तरह पाई पाई का हिसाब कभी [...]
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कि पाई पाई का हिसाब तो तुम्हारे पास है, तुम ही बताओ कि कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है? '' ‘‘ सब मैं लुटा रही हूं..... फेंक रही हूं घूरे में...
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पर अब यदि सीएजी ने उस ट्रेंड को बदलकर अगर सार्वजनिक धन के सदुपयोग और सरकारी राजस्व की पाई पाई का हिसाब पाने की एक नयी प्रशासनिक संस्कृति की अपनी रिपोर्टों के जरिये शुरूआत करना चाहता है तो इसमें गलत क्या है?
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भोजपुरी सिनेमा को अपना गौरव पाना है तो इसमें से बिचौलियों की भूमिका खत्म करनी होगी और फिल्म को दर्शकों तक पहुंचाने के लिए कोई ऐसा सिस्टम तैयार करना होगा, जिसमें पाई पाई का हिसाब निर्माता और वितरक के बीच पानी की तरह साफ हो।
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अंदर की बात ये है के अब पाकिस्तान को इमली चटाने के दिन करीब आए (शायद), अमेरिका ने हुकम दे दिया कि उसामा बिन लादिन की तलाश अब पाकिस्तान मे शुरू की जाए अगर वो ना भी मिले फिर भी तलाशे-जुसतजू जारी रखे ताकि इसी बहाने पाकिस्तान पर अमेरिका ने जो कुछ मेहरबानियाँ की थीं, अब वक्त आ चुका है कि पाकिस्तान से पाई पाई का हिसाब लें।
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अंदर की बात ये है के अब पाकिस्तान को इमली चटाने के दिन करीब आए (शायद), अमेरिका ने हुकम दे दिया कि उसामा बिन लादिन की तलाश अब पाकिस्तान मे शुरू की जाए अगर वो ना भी मिले फिर भी तलाशे-जुसतजू जारी रखे ताकि इसी बहाने पाकिस्तान पर अमेरिका ने जो कुछ मेहरबानियाँ की थीं, अब वक्त आ चुका है कि पाकिस्तान से पाई पाई का हिसाब लें।
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एक समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार इस संदर्भ में पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष दिनेश राय ने बताया कि जनता की अदालत लगाने की परम्परा मेरे कार्यकाल से प्रारंभ की गई थी उसे आगे बढ़ाते हुये मेरी माताश्री भी अध्यक्ष रहते हुये इस परम्परा का निर्वाह करेंगी और जनता की बीच उपस्थित होकर पाई पाई का हिसाब देंगी, इस दौरान अगर जनता उनके कार्याे से संतुष्ट होती है तो वह उन्हें पुनः आगे कार्यकाल को पूरा करने का मौका देगी और अगर जनता संतुष्ट नहीं है तो वे वहीं अपना इस्तीफा दे देंगी।