पाठनीय होगा, बिकेगा भी. देह के बिना रचना कैसी? जो लोग कह रहे हैं कि आपने नया कुछ नहीं कहा है उनसे पूछिए नया बचा क्या है? कहने का अंदाज़ जुदा हो सकता है.
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अमरेन्द्र जी की कहानियाँ अपनी विषय-वस्तु, वर्णन-शैली के कारण रोचक और पाठनीय है, कभी कहानियाँ एक दुसरे से जुडी हुई, ज़मीन से, जड़ से, मानवता से-जैसे जीवन की धार में अनुभव रुपी मोती पिरोये गए हैं.
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राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर की पाण्डुलिपि प्रकाशन योजना के अन्तर्गत प्रकाशित इस कृति के विषद् विवेचन के तहत कहानीकार उषा किरण सोनी और युवा साहित्यकार नदीम अहमद ‘नदीम‘ द्वारा पत्र वाचन किया जायेगा और पाठकों द्वारा पाठनीय जिज्ञासाओं पर लेखक संजय पुरोहित अपना व्यक्तव्य देंगे।
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अमरेन्द्र जी की कहानियाँ अपनी विषय-वस्तु, वर्णन-शैली के कारण रोचक और पाठनीय है, कभी कहानियाँ एक दुसरे से जुडी हुई, ज़मीन से, ज़र से, मानवता से-जैसे जीवन की धार में अनुभव रुपी मोती पिरोये गए हैं.
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अमरेन्द्र जी की कहानियाँ अपनी विषय-वस्तु, वर्णन-शैली के कारण रोचक और पाठनीय है, कभी कहानियाँ एक दुसरे से जुडी हुई, ज़मीन से, ज़र से, मानवता से-जैसे जीवन की धार में अनुभव रुपी मोती पिरोये गए हैं.
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शरीफ़? *******८ भद्र तोरण पथ मेहराब लाखा आहिस्ता से संभालनाअना दयामय कृपा करते हुए विनीत कृपा करते हुए विनीत श्ह्रद्धापूर्ण तोरण पथ चापाकार में उठाना बुरी सुशील सुदंर चापाकार में उठाना चापाकार में फैलना सिखाने योग्य चापाकार में फैलना मजेध्दार सहदय चाप जैसा बनाना बारीक़ पाठनीय मुश्किल कठिन अच्छा