अगले मंगलवार भी जारी पिछली कड़ी-घोड़ी को पानी दिखाना [बकलमखुद-88] ये सफर आपको कैसा लगा? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें अभी और बाकी है।
12.
मैंने सोचा जंग न लग जाए।” “फिर से पानी दिखाना है? ” “ओ यार...कहीं बैठेंगे, दारू का घूंट भरेंगे, पर तू तो बिज़ी लगता है।” “भाजी से पूछ ले, ऊपर ही है, जा, मिल आ।” बलदेव ऊपर की ओर चल दिया।