| 11. | किसी को साहस नहीं हु आ. इस विश्व में पापरहित कौन है?
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| 12. | परन्तु ‘अपरा एकादशी ' के सवेन से ये भी पापरहित हो जाते हैं ।
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| 13. | परन्तु ‘ अपरा एकादशी ' के सवेन से ये भी पापरहित हो जाते हैं ।
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| 14. | भावार्थ:-निर्मल (पापरहित) और अचल (स्थिर) मन तरकस के समान है।
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| 15. | शब्द मैं पापरहित, निष्कलुष,निष्काम सिर्फ़ कुछ शब्द चुनूंगा इस दुनिया में और अपनी कविता में उसे रख दूंगा।
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| 16. | प्रतिष्ठानपुरमें एक महान कूप है जिसके दर्शन एवं उसका जलपान करने से मनुष्य पापरहित हो जाता है।
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| 17. | पापरहित निर्मल और स्थिर मन तरकश है, जिसमें सम, यम और नियम रूपी अनेक प्रकार के बाण हैं।
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| 18. | वेद भगवान अथर्ववेद १ ६ / ६ / १ में कहते हैं-हम आज ही पापरहित हो गए हैं.
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| 19. | जब तक अन्तःकरण मल रहित, पापरहित नहीं होगा, तब तक वास्तविक दृष्टि दिव्य दृष्टि का उदय नहीं होता।
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| 20. | साफ़.. और नेक-दिल... परोपकारी... सच्चाई पसं द.... निर्दोष और पापरहित बच्चा कभी कोई नहीं देखा..
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