लेकिन उसे भी यह विचार करना चाहिए और रोगी से चार्चा करनी चाहिये कि किस रोग में किस कारण से केवल हरसिंगार के पत्ते पर्याप्त नहीं होते, किस किस प्रकार के अन्य रोग में क्या क्या पूरक औपधियाँ चाहियें इसके बजाए यदि वह रेडिमेड पारिजातक वटि खाने की सलाह देता है तो वह रोगी के ज्ञान की बढ़ावा नहीं देता बल्कि उसे परावलंबी ही बनाता है।