| 11. | ये पार्थ भीम सारे आये हैं जुल्म सहने
|
| 12. | पार्थ प्रबल पुरुषार्थ का, यश गाते शत कल्प..
|
| 13. | द्वन्द्व-युद्ध के लिए पार्थ को फिर उसने ललकारा,
|
| 14. | प्रशस्ते कर्मणि तथा सच्छब्दः पार्थ युज्यते ॥१७-२६॥
|
| 15. | क्या पार्थ इन क्षणों भी व्यामोह में पड़ेगा॥
|
| 16. | ग्लास चाय ले पार्थ बाहर आ गए ।
|
| 17. | जो कर सके चरितार्थ कृष्ण और पार्थ को
|
| 18. | कोई कर्ण, पार्थ का कोई-गुण आपस में गाते।
|
| 19. | मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य येऽपि स्युः पापयोनयः ।
|
| 20. | पार्थ सारथि मिश्रजी ने कुमारिल स्वामी रचित मीमांसा
|