वही जानी पहचानी आवाजें कानों में पड़ती जिनके लिये पीछे मुड़ना शायद जरुरी नहीं था और ना ही उन्हे सुनना।
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(७) वक्र प्रसारण यंत्र-इस यंत्र के द्वारा शत्रु विमान अचानक सामने आ गया तो उसी समय पीछे मुड़ना संभव होता था।
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पर साथ ही कहूँगा कि इसके साथ चलने के लिए कई बार छलांग लगानी पड़ती है या ठिठक कर पीछे मुड़ना पड़ता है.
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ताऊ-हमने सुना है आप पढने मे बहुत तेज थे? अभिषेक-हां ताऊजी, जब होश आया तब पीछे मुड़ना संभव नहीं था.
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(७) वक्र प्रसारण यंत्र-इस यंत्र के द्वारा शत्रु विमान अचानक सामने आ गया, तो उसी समय पीछे मुड़ना संभव होता था ।
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सिंथिया मोस ने अक्सर पाया है कि हाथी अक्सर यह सोच कर अपना रास्ता बदल लेते हैं कि मनुष्यों को कोई नुकसान न पहुंचे, वे यहां तक कि ऐसा करते हैं जब उन्हें खुद ऐसा करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है (जैसे पीछे मुड़ना पड़े).
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और बचपन से ही पढने में तथाकथित तेज घोषित कर दिया गया और फिर ये बने रहने की लत ऐसी लगी की पढाई-लिखाई से नाता जुड़ गया. ताऊ-हमने सुना है आप पढने मे बहुत तेज थे?अभिषेक-हां ताऊजी, जब होश आया तब पीछे मुड़ना संभव नहीं था.
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PMकविता के ज़रिये कवि अपने चिंतन, चिंताओं, सरोकारों और सवालों की पूरी विरासत अगली पीढी को हस्तांतरित कर रहा है.एक प्रकार की लय के साथ आगे बढती ये कविता अपने साथ सब कुछ समेटने का प्रयास करती है.अद्भुत अनुभव है इसे पढना.पर साथ ही कहूँगा कि इसके साथ चलने के लिए कई बार छलांग लगानी पड़ती है या ठिठक कर पीछे मुड़ना पड़ता है.