सबसे ताजा फैसले में कल, 31 जुलाई को न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू और सी के प्रसाद की पीठ ने एक मामले में कहा है कि संतान पैदा न होने की स्थिति में पत्नी को दोष देना और पीड़ित करना गलत है।
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जुआ खेलना, शराब पीना, दीन-दुखियाँ को पीड़ित करना, धोखा देना, झूठ बोलना आदि दुर्गुण उनके स्वभाव में मनुष्य में ऐसे ही दुर्गुणों का उदय होता है और शिष्ट समाज में ऐसे लोगों की कदापि मान-प्रतिष्ठा नहीं होती।
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सबसे ताजा फैसले में कल, 31 जुलाई को न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू और सी के प्रसाद की पीठ ने एक मामले में कहा है कि संतान पैदा न होने की स्थिति में पत्नी को दोष देना और पीड़ित करना गलत है।
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आर्थिक शोषण के अन्तर्गत दहेज के लिए नारी को सताना, अशिक्षा, परनिर्भरता, घर में पुरुषों के शासन में उसकी अधीनता पारिवारिक व कार्यक्षेत्र में पीड़ित करना आदि कई ऐसे स्तर हैं जिनसे नारी का आर्थिक शोषण किया जाता है l ”
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मिसाल के तौर पर शरीर पर लगाये जाने वाले प्रसाधनों के लिए उनको पीड़ित करना या फिर बूचड़खाने में एक जानवर को दूसरे जानवर की आँखों के सामने बेदर्दी से मार देना, उसका चमड़ा निकालना, मुर्गों, सांप-नेवले की जानबूझकर ज़बरदस्ती लडाइयाँ करवाना-ऐसे खेलों पर शर्तें लगा पैसे ऐंठना, बन्दर-सांप-भालू के करतब दिखाना, तेल के लिए जीवित सांडे/छिपकली को उबलते पाने में जीवित डाल देना.
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मिसाल के तौर पर शरीर पर लगाये जाने वाले प्रसाधनों के लिए उनको पीड़ित करना या फिर बूचड़खाने में एक जानवर को दूसरे जानवर की आँखों के सामने बेदर्दी से मार देना, उसका चमड़ा निकालना, मुर्गों, सांप-नेवले की जानबूझकर ज़बरदस्ती लडाइयाँ करवाना-ऐसे खेलों पर शर्तें लगा पैसे ऐंठना, बन्दर-सांप-भालू के करतब दिखाना, तेल के लिए जीवित सांडे / छिपकली को उबलते पाने में जीवित डाल देना.