लिंगेन्द्रिय में जलन होना, शिश्नमुण्ड का लाल हो जाना, सूज जाना, खुजली चलना, पेशाब करते समय पीड़ा होना, मूत्र मार्ग से पीप आना आदि लक्षण प्रारंभिक अवस्था में प्रकट होते हैं।
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ग्लिसरीन मुख के भीतर (मुँह व जीभ के छालों, मसूड़ो की सूजन व पीड़ा, दाँतो में खून व पीप आना, गले में घाव, गले की खराश, बढे हुए टांसिल, काग आदि में) रुई की फुरैरी लगाने, पेन्ट करने से शीघ्र लाभ होता है।