ब्रजभाषा की अपनी रूपगत प्रकृति औकारांत है अर्थात् इसकी एकवचनीय पुंलिंग संज्ञाएँ तथा विशेषण प्राय: औकारांत होते हैं;
12.
कभी-कभी पुंलिंग में भी प्रयोग देखने को मिल जाता है जिसकी वर्तनी नपुंसक वाली ही रहती है ।
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ब्रजभाषा की अपनी रूपगत प्रकृति औ कारांत है अर्थात् इसकी एकवचनीय पुंलिंग संज्ञाएँ तथा विशेषण प्राय: औकारांत होते हैं;
14.
ब्रजभाषा में अपना रूपगत प्रकृति औकारांत है यानि कि इसकी एकवचनीय पुंलिंग संज्ञा और विशेषण प्राय: औकारांत होते हैं;
15.
यही कारण है कि मैंने गीतांजलि के गीतों का अनुवाद करते हुए संबोध् य को पुंलिंग और संबोधनकर्ता को स् त्रीलिंग माना है।
16.
पवित्र आत्मा शब्द का अनुवाद अरबी भाषा القدس الروح में किया गया है और सभी कुरानों में इसका इस्तेमाल पुंलिंग के रूप में किया गया है.
17.
हिन्दी में नाक स्त्रीलिंग में है, जैसे मेरी नाक पतली है या लम्बी है आदि, इसके विपरीत कान पुंलिंग में जैसे मेरा कान या मेरे कान ।
18.
“प्रियस” कोई क्रिया नहीं बल्कि लैटिन का एक तुलनात्मक विशेषण या क्रिया-विशेषण है, यह विशेषण का नपुंसक कर्ताकारक एकवचन रूप है, जिसके पुंलिंग और स्त्रीलिंग कर्ताकारक एकवचन रूप है पूर्व [89] (
19.
ब्रजभाषा में अपना रूपगत प्रकृति औकारांत है यानि कि इसकी एकवचनीय पुंलिंग संज्ञा और विशेषण प्राय: औकारांत होते हैं ; जैसे खुरपौ, यामरौ, माँझौ आदि संज्ञा शब्द औकारांत हैं।
20.
पुंलिंग एकवन शब्दों की आकारांत रचना और इनसे विशेषण और क्रिया का सामंजस्य, संज्ञाओं और सर्वनामों के प्रत्यक्ष और तिर्यक् रूप, क्रियाओं कालादि भेद से जुड़नेवाले प्रत्यय दोनों भाषाओं में प्राय: एक से हैं।