एक मध्यकालीन फ्रेंच मठ / गाँव आविन्यों में रहते हुए लिखी गई अशोक वाजपेयी की कविताओं और कविता-जैसे-ही गद्य में अनुपस्थिति, ईश्वरहीनता, नश्वरता, जीवन में कविता की जगह और सब चीज़ों के पड़ोस के रूप में पृथ्वी जैसी उनके लेखन की कुछ स्थायी थीमें एक दूसरे देश-काल की छाया में पुनर्विन्यस्त हैं.
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एक मध्यकालीन फ्रेंच मठ / गाँव आविन्यों में रहते हुए लिखी गई अशोक वाजपेयी की कविताओं और कविता-जैसे-ही गद्य में अनुपस्थिति, ईश्वरहीनता, नश्वरता, जीवन में कविता की जगह और सब चीज़ों के पड़ोस के रूप में पृथ्वी जैसी उनके लेखन की कुछ स्थायी थीमें एक दूसरे देश-काल की छाया में पुनर्विन्यस्त हैं.
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इस निबंध को लिखने के लिए मुझे दार्शनिक यथार्थवाद के ताजातरीन संस्करणों की पड़ताल करना पड़ी जो मानते हैं कि वस्तुनिष्ठ ज्ञान संभव है लेकिन उसके लिए हमें २ ० वीं सदी की मूल-सिद्धांतवादी निश्चितता को त्यागने और वस्तुनिष्ठता को पुनर्विन्यस्त करने की जरुरत है, उसे और अर्थमूलक और चिन्तनपरक बनाने की ज़रूरत.
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जो आज़ादी से करने के लिए घरों में मौजूदा तारों में हस्तक्षेप की आवश्यकता के बिना विन्यस्त किया जा सकता स्मार्ट घर आप पुनर्विन्यस्त इमारत स्वचालन के रूप में बदलने के रूप में दूर तक की अनुमति देता है निवासियों के घर के उपयोग के दौरान की जरूरत है, को ओवरहाल और परंपरागत बिजली के अधिष्ठापन बदलने की आवश्यकता के बिना.
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जिस क्षण यह ख़याल ब्रह्माण्ड को तुम्हारे लिए पुनर्विन्यस्त कर रहा था-वह-इस दुनिया की साधारणता का एक महान क्षण-जब तुम अपने आविष्कार को दे दिए गए थे, तुम्हारे हमसफ़र ने कहा-'बेबी दी के यहाँ से अंगूर लेने थे...'. लेकिन औदात्य देखो कि यह दुनियादार प्रतिक्रिया अब उसी खोज का हिस्सा है और उसी सफ़र का जिसमें तुम अपने हमसफ़र के साथ कहीं के लिए निकले थे और फ़िलहाल बेबी दी के घर से आगे चले आये हो.
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जिस क्षण यह ख़याल ब्रह्माण्ड को तुम्हारे लिए पुनर्विन्यस्त कर रहा था-वह-इस दुनिया की साधारणता का एक महान क्षण-जब तुम अपने आविष्कार को दे दिए गए थे, तुम्हारे हमसफ़र ने कहा-' बेबी दी के यहाँ से अंगूर लेने थे... '. लेकिन औदात्य देखो कि यह दुनियादार प्रतिक्रिया अब उसी खोज का हिस्सा है और उसी सफ़र का जिसमें तुम अपने हमसफ़र के साथ कहीं के लिए निकले थे और फ़िलहाल बेबी दी के घर से आगे चले आये हो.