बाजार अनुसंधान, बजट बनाना, कार्पोरेट प्लानिंग, आर्गेनाइजेशन डेवलपमेंट, सिस्टम एनालिसिस, कार्यशील पूँजी निर्माण, पूँजी मामलों के सलाहकार, सिक्योरिटीज व निवेश सम्बन्धी सलाहकार इत्यादि क्षेत्रों में भी सीए काम करते हैं।
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(२) विकास एवं सुरक्षा आयोजन (ढेवेलोप्मेन्ट् अन्ड् ढेङेन्चे फ्लन्-निन्ग्)--जबआयोजन का का उद्देश्य, राष्ट्रीय एवं प्रतिव्यइत आय में वृद्धिरहन-~ सहन के स्तर में वृद्धि, पूँजी निर्माण की दर में वृद्धि आदि करनाहो तो उसे विकास आयोजन कहते है.
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इसके अंतर्गत अर्थव्यवस्था की प्रकृति, पूँजी निर्माण, राष्ट्रीय आय, आय वितरण, भारत में नियोजन, संरचनात्मक सुधार, खाद्य सुरक्षा, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, औद्योगिक नीति, औद्योगिक रुग्णता, मुद्रास्फीति, भुगतान संतुलन, बैंकिंग प्रणाली तथा राजकोषीय ढाँचे के अध्ययन पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
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इसके अन्तर्गत अर्थव्यवस्था की प्रकृति, पूँजी निर्माण, राष्ट्रीय आय, आय वितरण, भारत में नियोजन, भारत का विदेश व्यापार, भुगतान संतुलन, मुद्रास्फीति, भारत में बैंकिंग प्रणाली, राजकोषीय ढाँचा, संरचनात्मक सुधार, खाद्य सुरक्षा, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, औद्योगिक नीति, औद्योगिक रुग्णता तैयारी के मुख्य बिंदु हो सकते हैं।
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हम पढ़े-लिखे लोग, पड़े-पड़े गूगल पर पर्यावरण का पाठ तो पढा करते है पर पड़ोस की झुग्गी में जाकर नहीं देखते कि वो गरीब कैसे हमारे कचरे से पूँजी निर्माण करते है, हम आज भी कार में बैठकर उन्हे बे-कार मानते है और वो धरती को हमारी गंदी से बचाकर उसके ऐसे पैसा कमा जाते है जैसे हम सोच भी नहीं सकते।
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कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के विकास में ऋण एक महत्वपूर्ण कारक होता है जिसके द्वारा पूँजी निर्माण और प्रौद्योगिकीय उन्नयन के लिए निवेश करने में सहायता मिलती हैइसलिए ग्रामीण वित्तीय संस्थाएँ, जो ग्रामीण क्षेत्र को ऋण संवितरित करती हैं, के सुदृढ़ीकरण को नाबार्ड ने बल क्षेत्र के रूप में पहचान की हैसहकारी ऋण संरचना और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को मजबूत बनाने के लिए विभिन्न पहलें की गई हैं जिससे जरूरतमंदों के लिए पर्याप्त और समय पर ऋण उपलब्ध हो सकें.