अपनी जाति के वोट बढाने एवं लाठी की ताकत बढाने के लिये आम आदमी जनसंख्या बढाने में पूरी तरह से व्यस्त है।
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यही वजह है कि शूटिंग में खुद को पूरी तरह से व्यस्त करने से पहले वे रानी के साथ समय बिताना चाहते हैं।
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' ' चलते वक्त उस आदमी ने हिदायत दी थी, पर रिधू तो पूरी तरह से व्यस्त हो चुकी थी उस पेड़ की देख-रेख में।
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अब आप खुद ही सोचिये एक तन्हा जवान लडक़ी जिसके पिता राजनीति में पूरी तरह से व्यस्त और माँ लगभग मृत्यु शैया पर पड़ी हुई हों थोड़ी सी सहानुभूति मात्र से क्यों ना पिघलेगी?
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वहीं पेरिस इस घर के निर्माण में पूरी तरह से व्यस्त हैं और वह इस घर के बेसमैंट में अपना निजी नाइट क्लब भी बनवा रही हैं, ताकि रात में नाइट क्लब बंद होने के बाद वह अपने घर में पार्टी कर सकें।
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दिपावली आते ही हम घरों की, ऑफिसों की साफ-साफ, रंगाई-पुताई करने में पूरी तरह से व्यस्त हो जाते हैं लेकिन हमने क्या कभी सोचा है कि साल के 12 महीने को दिवाली समझ कर साफ-सफाई पर ध्यान दें तो हमारे और पर्यावरण के लिए कितना लाभदायक होगा।
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अब आप खुद ही सोचिये एक तन्हा जवान लडक़ी जिसके पिता राजनीति में पूरी तरह से व्यस्त और माँ लगभग मृत्यु शैया पर पड़ी हुई हों थोडी सी सहानुभूति मात्र से क्यों ना पिघलेगी विपरीत लिंग की ओर, इसी बात का फायदा फिरोज खान ने उठाया और इन्दिरा को बहला-फुसलाकर उसका धर्म परिवर्तन करवाकर लन्दन की एक मस्जिद में उससे शादी रचा ली।
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रिसेप्शन चल रहा था जिसमें सामान्य तौर पर मेचिंग वेशभूषा पहने रहने के कारण महिलाएँ स्वर्णाभूषणों की बनिस्बत आर्टिफिशल गहने पहनना अधिक पसन्द करती हैं और अधिकांश घरेलू मेहमानों के आभूषण प्रायः उनके लगेज मे ही रखे होते हैं, परिवार का प्रत्येक सदस्य पूरी तरह से व्यस्त होता है तब वहीं मौजूद उन चारों सुरक्षागार्ड का इन्चार्ज दूसरी मंजिल पर घूम-घूमकर हर बन्द दरवाजे को खटखटाकर पूछता घूम रहा था कमरे में कोई है क्या?
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रिसेप्शन चल रहा था जिसमें सामान्य तौर पर मेचिंग वेशभूषा पहने रहने के कारण महिलाएँ स्वर्णाभूषणों की बनिस्बत आर्टिफिशल गहने पहनना अधिक पसन्द करती हैं और अधिकांश घरेलू मेहमानों के आभूषण प्रायः उनके लगेज मे ही रखे होते हैं, परिवार का प्रत्येक सदस्य पूरी तरह से व्यस्त होता है तब वहीं मौजूद उन चारों सुरक्षागार्ड का इन्चार्ज दूसरी मंजिल पर घूम-घूमकर हर बन्द दरवाजे को खटखटाकर पूछता घूम रहा था कमरे में कोई है क्या?
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संध्या समय, सूरज दिन-भर कि थकान मिटाने के लिए विदा ले चुके थे परन्तु अँधेरा अभी अपने पैर पूरी तरह से जमा नहीं पाया था! धुंधलका सा पसरा पड़ा था! राह जो गाँव से बहार जा रही थी एक दुसरे छोटे से गाँव की ओर थोड़ी शांत थी, जबकि शहर क़ी ओर जाने वाली, पूरी तरह से व्यस्त थी! तो उन विद्वान् पुरुषो ने वो शांत राह ही चुनी उस एतिहासिक शाम कि सैर के लिए! वो दोनों मेरी तरह सोचते बहुत थे, मेरी तरह!