मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में सर्वप्रथम मातृवंशी नारी या माइटोकांड्रियल ईव उस अज्ञात नारी को कहते हैं जो आज के विश्व में मौजूद सारे नारियों ओर पुरुषों की निकटतम सांझी पूर्वजा थी।
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कोई, किसी के समान नहीं. सबके पिता भिन्न हैं न! कुन्ती माँ ने नियोग के लिए स्वयं चुनाव किया, पूर्वजा अंबिका अंबालिका को विवश कर दिया गया-जिससे वितृष्णा हो वही पुरुष-सहन करो, मन से या बेमन. तभी ऐसी संताने-पाँडु, धृतराष्ट्र.
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काहे की द्विधा! ' ' देवराज? वे आपके पिता हैं,. ' ' जानता हूँ, सौभाग्य है मेरा! आप भी मेरे वंश की पूर्वजा, अब यहाँ हैं तो क्या हुआ मातृ-भाव स्वीकार करें. ' वे चरण छूने झुके. उर्वशी ने बरज दिया. ' नहीं. वे संबंध और वे आचार यहाँ के नहीं.