पाबू जी लोक गाथा की निम्न पंक्तियाँ दर्शाती हैं कि वीर पुरषों की याद में पूर्वज पूजा सम्पन होती है जैसे गढ़वाल-कुमाऊँ में ' हंत्या घडेला-जागर ' में समाज या उत्तराखंड के वीर पुरुषो को याद कर र पूजा अनुष्ठान सम्पन होता है ।
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जिमदा पाला विमनाई जगजीती जुद्ध जैवमाता जगजीति याने कि तुम दोनों (जिमदा और पाबू जी) वीर हो, नायक हो और युद्ध जीतने में माहिर हो! राजस्थान में भी पूर्वज पूजा का एक उदेश्य पूर्वजों की भटकती आत्माओं या अतृप्त आत्माओं को परम स्थान हेतु अनुष्ठान किये जाते हैं और वे अनुष्ठान लोक गीत शैली में होते हैं ।