आज भी जो कारण आधुनिक क़ानून के असफल होने के हैं, वो क़ानूनी कमज़ोरी नहीं, बल्कि अपराधियों का सामाजिक और आर्थिक स्तर पर अति प्रभावशाली और शक्ति शाली होना हैजिसका कारण की जड़ें हमारी पूर्व संस्कृति और संस्कारों मे ही पाई जाती है.
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वरन इस बात पर कि आज़ादी प्राप्त होने के बाद जो नई शक्तियां और समस्याएं उग्र होनी है, उनके लिए बेहतर निदान क्या हो सकता था? अतः गांधीवादी चिन्तक एवं अनुयायी, भगत सिंह से सदैव इस बात पर विरोध में रहे, कि युवाओं के इस संगठन से आज़ादी के प्रति लोगों की सजगता जाग तो सकती है, मगर भारत की चली आ रही पूर्व संस्कृति को सम्पूर्ण तरह से नष्ट कर ही दिया जाएगा।