| 11. | आदित्यः सविता सूर्यः खगः पूषा गभस्तिमान्।
|
| 12. | ॥ ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्ध-श्रवा-हा स्वस्ति न-ह पूषा विश्व-वेदा-हा।
|
| 13. | रेवती के पूषा, अश्विनी के अश्विनी
|
| 14. | इस नक्षत्र के देवता पूषा हैं।
|
| 15. | पूषा आदि को भी यदाकदा सोम अर्पित किया जाता है।
|
| 16. | ओं पूषा भगं सविता मे ददातु रूद्रः कल्पयतु ललामगुम ।
|
| 17. | ज्ञान रखने वाले पूषा (सुर्य) हमारा कल्याण करें; अरिष्टनेमिः तार्क्ष्यः नः
|
| 18. | इहो सहस्रदक्षिणो यज्ञ, इह पूषा निषीदतु॥-पा०गृ०सू० १.८.१० == पाद प्रक्षालन ==
|
| 19. | अमृतसर-स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा।स्वस्ति न पूषा विश्ववेदा॥स्वस्तिनस्तार्कष्यो अरिष्टनेमि।स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु।।
|
| 20. | यशवाले इन्द्र हमारा कल्याण करें; विश्ववेदाः पूषा नः स्वास्ति (दधातु) = विश्व का
|