पृष्ठरज्जु मुख्यत: डिंभक के पुच्छ भाग में, जो वयस्क अवस्था में क्रमश: लुप्त हो जाता है, सीमित होता है।
12.
डिंभक अवस्था (larval stage) में एक पूर्ण विकसित पृष्ठरज्जु (notochord) की उपस्थिति इनकी मुख्य विशेषता है।
13.
पृष्ठरज्जु के ऊपर, उसकी पूरी लंबाई में, एक संकीर्ण, नालाकार मेरुरज्जु (spinal cord) स्थित होती है।
14.
प्रत्येक बैंगची में तैरने के लिए एक पुच्छ होती है, जिसके मध्य में कोशिकाओं के द्वारा निर्मित एक पृष्ठरज्जु भी होती है।
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पृष्ठरज्जु मुख्यत: डिंभक के पुच्छ भाग में, जो वयस्क अवस्था में क्रमश: लुप्त हो जाता है, सीमित होता है।
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प्रत्येक बैंगची में तैरने के लिए एक पुच्छ होती है, जिसके मध्य में कोशिकाओं के द्वारा निर्मित एक पृष्ठरज्जु भी होती है।
17.
पृष्ठरज्जु के दोनों पार्श्वो में पेशीतंतु की एक पट्टी होती है, जिनकी तुलना मछलियों के चलन पेशियों (locomotary muscies) से की जा सकती है।
18.
पृष्ठरज्जु के दोनों पार्श्वो में पेशीतंतु की एक पट्टी होती है, जिनकी तुलना मछलियों के चलन पेशियों (locomotary muscies) से की जा सकती है।
19.
इनका इस संघ मे शामित होना इस आधार पर सिद्ध होता है कि यह जीवन चक्र मे कभी न कभी निम्न संरचनाओं को धारण करते हैं जो हैं, एक पृष्ठरज्जु (नोटोकॉर्ड), एक खोखला पृष्ठीय तंत्रिका कॉर्ड, फैरेंजियल स्लिट एक एंडोस्टाइल, और एक पोस्ट-एनल पूंछ।
20.
इनका इस संघ मे शामित होना इस आधार पर सिद्ध होता है कि यह जीवन चक्र मे कभी न कभी निम्न संरचनाओं को धारण करते हैं जो हैं, एक पृष्ठरज्जु (नोटोकॉर्ड), एक खोखला पृष्ठीय तंत्रिका कॉर्ड, फैरेंजियल स्लिट एक एंडोस्टाइल, और एक पोस्ट-एनल पूंछ।