अभिषेक जी, मैं कुछ ठोस विकल् प सुझा रहा हूं, जिसे आप “ कभी जनवाद, कभी पावर डिसकोर्स, कभी नकारवाद और कभी सह कारिता की बैसाखी से पैंतरा बदलना ” कह रहे हैं।
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लेकिन इस बीच जब 19 जून को तस्वीरों के साथ सनसनीखेज खुलासा हुआ कि गिलानी के बेटे के इशारों पर एक टेलीविजन चैनल ने रियाज को पट्टी पढ़ाकर इंटरव्यू दिलाया था, तो अदालत का पैंतरा बदलना स्वाभाविक था।