जंतुओं के शरीर में पाई जानेवाली ग्रंथियों के नाम हैं: पीयूष (Pituitary, या Hypophysio), पीनियल (Pineal), अवटुग्रंथि (Thyroid), पैराथाइरॉइड (Parathyroid), थाइमस (Thymus), पैक्रिअस या अग्न्याशय (Pancreas), वृक्क (Adrenal); जननग्रंथि (Gonads), नर में वृषण (Testis) तथा मादा में अंडाशय (Ovary)।
12.
जंतुओं के शरीर में पाई जानेवाली ग्रंथियों के नाम हैं: पीयूष (Pituitary, या Hypophysio), पीनियल (Pineal), अवटुग्रंथि (Thyroid), पैराथाइरॉइड (Parathyroid), थाइमस (Thymus), पैक्रिअस या अग्न्याशय (Pancreas), वृक्क (Adrenal) ; जननग्रंथि (Gonads), नर में वृषण (Testis) तथा मादा में अंडाशय (Ovary) ।
13.
सर्जरी (पूरे थाइरॉइड या इसके एक भाग को निकाल बाहर करना) का प्रयोग व्यापक रूप से नहीं किया जाता है, क्योंकि अतिगलग्रंथिता के सबसे आम रूपों का बहुत प्रभावकारी इलाज रेडियोधर्मी आयोडीन पद्धति द्वारा किया जाता है, और चूंकि पैराथाइरॉइड ग्रंथियों को निकालने, और आवर्तक लैरिंजियल तंत्रिका के काटे जाने से निगलना मुश्किल हो जाता है, और किसी बड़ी सर्जरी से यहां तक कि सामान्यीकृत स्तवकगोलाणु संक्रमण हो सकता है.
14.
सर्जरी (पूरे थाइरॉइड या इसके एक भाग को निकाल बाहर करना) का प्रयोग व्यापक रूप से नहीं किया जाता है, क्योंकि अतिगलग्रंथिता के सबसे आम रूपों का बहुत प्रभावकारी इलाज रेडियोधर्मी आयोडीन पद्धति द्वारा किया जाता है, और चूंकि पैराथाइरॉइड ग्रंथियों को निकालने, और आवर्तक लैरिंजियल तंत्रिका के काटे जाने से निगलना मुश्किल हो जाता है, और किसी बड़ी सर्जरी से यहां तक कि सामान्यीकृत स्तवकगोलाणु संक्रमण हो सकता है.