विवादग्रस्त विषयों पर विभिन्न पक्षों से प्राप्त लेखों का इस प्रकार परीक्षण कर लिया जाता है कि उनमें न तो किसी भी प्रकार किसी व्यक्ति, समुदाय, समाज अथवा ग्रंथ पर किसी प्रकार का व्यंग्यात्मक का आक्रोशपूर्ण आक्षेप हो और न कहीं अपशब्दों या अश्लील (अमंगल, ब्रीडाजनक तथा ग्राम्य) शब्दों का प्रयोग हो।