सबसे खास बात यह कि डॉ पलफ्रिच ने थ्री डी अनुभव को और बेहतर बनाने के लिए प्रकाश विज्ञान यानी ऑप्टिक्स के एक खास प्रभाव की खोज की, जिसे ‘ पलफ्रिच इफेक्ट ' कहते हैं।
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सिनेमा बीसवीं शताब्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय कला है जिसे प्रकाश विज्ञान, [विज्ञान, विद्युत विज्ञान, फोटो तकनीक तथा दृष्टि क्रिया विज्ञान (खोज के अनुसार आंख की रेटिना किसी भी दृश्य की छवि को सेकेंड के दसवें हिस्से तक अंकित कर सकती है) के क्षेत्रों में हुए तरक्की ने संभव बनाया है।
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सिनेमा बीसवीं शताब्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय कला है जिसे प्रकाश विज्ञान, [[रसायन विज्ञान], विद्युत विज्ञान, फोटो तकनीक तथा दृष्टि क्रिया विज्ञान (खोज के अनुसार आंख की रेटिना किसी भी दृश्य की छवि को सेकेंड के दसवें हिस्से तक अंकित कर सकती है) के क्षेत्रों में हुए तरक्की ने संभव बनाया है।
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लगभग प्रत्येक समाचार चैनल ढोंगियों को बैठा कर लोगो का भविष्य बताता है जबकि जनता अपने सत्य शास्त्रों से अनजान यह भी नहीं जानती ज्योतिष-शास्त्र लोगो का भविष्य बताने के लिए नहीं है वरन प्रकाश विज्ञान और प्रकाश दूरी द्वारा नक्षत्र की स्तिथियाँ, गतियाँ आदि गणितीय पद्दति द्वारा बताने के लिए है.
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लगभग प्रत्येक समाचार चैनल ढोंगियों को बैठा कर लोगो का भविष्य बताता है जबकि जनता अपने सत्य शास्त्रों से अनजान यह भी नहीं जानती ज्योतिष-शास्त्र लोगो का भविष्य बताने के लिए नहीं है वरन प्रकाश विज्ञान और प्रकाश दूरी द्वारा नक्षत्र की स्तिथियाँ, गतियाँ आदि गणितीय पद्दति द्वारा बताने के लिए है.
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सिनेमा बीसवीं शताब्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय कला है जिसे प्रकाश विज्ञान, रसायन विज्ञान, विद्युत विज्ञान, फोटो तकनीक तथा दृष्टि क्रिया विज्ञान (खोज के अनुसार आंख की रेटिना किसी भी दृश्य की छवि को सेकेंड के दसवें हिस्से तक अंकित कर सकती है) के क्षेत्रों में हुए तरक्की ने संभव बनाया है।
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सिनेमा बीसवीं शताब्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय कला है जिसे प्रकाश विज्ञान, रसायन विज्ञान, विद्युत विज्ञान, फोटो तकनीक तथा दृष्टि क्रिया विज्ञान (खोज के अनुसार आंख की रेटिना किसी भी दृश्य की छवि को सेकेंड के दसवें हिस्से तक अंकित कर सकती है) के क्षेत्रों में हुए तरक्की ने संभव बनाया है।
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आइसैक न्यूटन धार्मिक थे, वास्तव में रहस्ययभिमुखी थे और फिर भी भौतिक विज्ञान, गणित और प्रकाश विज्ञान के स्वाभाव में उन्होंने क्रांति की और उन्हें अपने महाविद्यालय (जो कि मेरा और वेंकी रामाकृष्णन का भी महाविद्यालय है) की (यानी त्रिनिटी की) अतिधर्मिता से किसी तरह की कोई समस्या नहीं थी, न ही उन्होंने उसकी संगतता को लेकर किसी तरह के सवाल, ताकतवर तर्कों के जरिए उठाए जो कुछ साल बाद हेनरी सिड्गविक जैसे त्रिनिटी के लोगों ने उठाए थे।