योनि गर्भाशय से योनि प्रघाण तक फैली हुई लगभग 8 से 10 सेमीमीटर लम्बी नली होती है......... > > योनि
12.
प्रघाण की बाहरी भित्ति के अण्डाकार छिद्र (fenestra ovalis) में मध्य कर्ण की स्टैपीज़ अस्थिका की प्लेट लगी रहती है।
13.
स्कैला वेस्टिब्यूलाइ का प्रघाण से सम्बन्ध रहता है और स्कैला टिम्पेनाइ का समापन (end) गोलाकार छिद्र वाली खिड़की पर होता है।
14.
प्रकम्पन के यहां तक पहुँच जाने पर प्रघाण (vastibule) में स्थित परिलसीका (perilymph) तरल में तरंगें पैदा हो जाती हैं।
15.
इसका ऊपर वाला छिद्र अण्डकार होता है, जो अन्तःकर्ण के प्रघाण (vestibule) में खुलता है तथा इसे फेनेस्ट्रा ओवेलिस (fenestra ovalis) कहते हैं।
16.
अर्द्धवृत्ताकार नलिकाएं (Semicircular canals)-प्रघाण के ऊपर (superior), पीछे (posterior) तथा पार्श्व में (lateral), ये तीन अस्थिल अर्द्धवृत्ताकार नलिकाएँ होती हैं।
17.
कलामय कर्णावत वाहिका प्रघाण (वेस्टिब्यूलर) एंव बेसिलर नामक दो मेम्ब्रेन्स (झिल्ली) द्वारा लम्बवत् रूप में तीन अलग-अलग कुण्डलित (सर्पिल) वाहिकाओं में बंट जाती है-जो निम्नलिखित हैं-