नौ ग्रहों के अनुसार दीपों के विविध रूप: सूर्य: सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए आटे का दिया प्रज्ज्वलित करना चाहिए।
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C-यदि दांपत्य जीवन में कुंठा और तनाव हो, तो गृहस्थ को अपने कक्ष में शुद्ध गाय के घी का दीपक प्रज्ज्वलित करना चाहिए।
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ज्यों ही माता ने दीप प्रज्ज्वलित करना शुरू किया कि भगवान श्री कृष्ण यमुना की ओर प्रस्थान कर गये और मधुसूदन यमुना जी में कूद पड़े।
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' ' '' बस एक ही बात चैपल में नहीं हो सकती? '' '' क्या? '' मैंने पूछा। '' हवन के लिए अग्नि प्रज्ज्वलित करना वर्जित है वहाँ।
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ज्योति जो साक्षात् शक्ति का प्रतिरूप है उसे अखंड ज्योति के रूप में शुद्ध देशी घी (गाय का घी हो तो सर्वोत्तम है) से प्रज्ज्वलित करना चाहिए।
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अतः जो व्यक्ति तंत्र-मंत्र की सिद्धि चाहते हैं उन्हें महालक्ष्मी पूजन के बाद तिल के तेल का दीपक लाल बŸाी डालकर काली जी या भैरव जी के निमिŸा प्रज्ज्वलित करना चाहिए।
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लेकिन यह एक पवित्र उद्देश्य वाली यात्रा थी-अर्थात देशभक्ति की बुझती हुई लौ को फिर से प्रज्ज्वलित करना तथा ऐसे बिखरे हुए सपनों जो भारतीयों ने 15 अगस्त, 1947 को देखे थे, को फिर से बुनना।
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लेकिन यह एक पवित्र उद्देश्य वाली यात्रा थी-अर्थात देशभक्ति की बुझती हुई लौ को फिर से प्रज्ज्वलित करना तथा ऐसे बिखरे हुए सपनों जो भारतीयों ने 15 अगस्त, 1947 को देखे थे, को फिर से बुनना।
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ज्योति: जलाने के लिए हनुमान जी एवं लक्ष्मी जी के लिए चमेली का तेल, श्री गणेश, कुबेर आदि के लिए शुद्ध घी, तथा सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि एवं राहु-केतु के लिए क्रमशः शुद्ध घी, चमेली का तेल, गाय का घी, सरसों का तेल डालकर दीप प्रज्ज्वलित करना चाहिएर्।