अन्दर रिसनेवाली गैस या तो प्रतिक्षिप्त होती है अथवा इतनी अधिक गर्म हो जाती है कि यह केन्द्र से बाहर की ओर फैलती है तथा तारे के विस्फोट का कारण बनती है.
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अन्दर रिसनेवाली गैस या तो प्रतिक्षिप्त होती है अथवा इतनी अधिक गर्म हो जाती है कि यह केन्द्र से बाहर की ओर फैलती है तथा तारे के विस्फोट का कारण बनती है.