लक्षणों के प्रकट होने पर सीरम देने का विचार छोड़कर पेनिसिलिन तथा अन्य प्रतिजीव विषों द्वारा चिकित्सा करनी पड़ती है।
12.
प्रतिरक्षक जीवाणु में इन विषों को मारनेवाली शक्तियाँ भी उत्पन्न होती हैं, जो प्रतिजीव विष (antioxin) कहलाती हैं।
13.
अत्युग्र दशाओं में और विशेषकर जब रोग आरंभ हुए कुछ समय बीत चुका हो तो रोगी की जीवनरक्षा के लिए 80, 000 मात्रक (unit) से लेकर दो लाख मात्रक तक प्रतिजीव विषयुक्त सीरम देना आवश्यक है।
14.
प्रतिजीव विषयुक्त सीरम, जो प्राय: रोगक्षमीकृत घोड़ों के रक्त से तैयार किया जाता है, इस रोग की प्रथम औषधि है, किंतु चिकित्सक को पहले यह निश्चय कर लेना चाहिए कि रोगी सीरम के प्रति असहिष्णु तो नहीं है, क्योंकि कुछ रोगी सीरम को सहन नहीं कर पाते, विशेषकर वे रोगी जिनको पहले सीरम के इंजेक्शन लगे हों।
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प्रतिजीव विषयुक्त सीरम, जो प्राय: रोगक्षमीकृत घोड़ों के रक्त से तैयार किया जाता है, इस रोग की प्रथम औषधि है, किंतु चिकित्सक को पहले यह निश्चय कर लेना चाहिए कि रोगी सीरम के प्रति असहिष्णु तो नहीं है, क्योंकि कुछ रोगी सीरम को सहन नहीं कर पाते, विशेषकर वे रोगी जिनको पहले सीरम के इंजेक्शन लगे हों।