क्यों नहीं? हमारे देश में ‘ रिप्रजेंटेटिव डेमोक्रेसी ' (प्रतिनिधिक लोकतंत्र) की अब कोई जरूरत नहीं है।
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यह डरावना संकट, भारत के प्रतिनिधिक लोकतंत्र के पूरी तरह से असफल होने की वजह से पैदा हुआ है.
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प्रतिनिधिक लोकतंत्र का खात्मा हो जाएगा और जल्द ही इसका स्थान सूचना युग का लोकतंत्र ले लेगा, जो सबसे बेहतर होगा।
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क्या सरकार इस पर जनमत संग्रह की हिम्मत कर पायेगी? अगर नहीं तो प्रतिनिधिक लोकतंत्र सिर्फ दलाली के लिए ही तो होगा।
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पाश्चात्य लोकतांत्रिक देशों में चुनाव के साथ-साथ [...] गाँधी और स्वराज केन्द्रित प्रतिनिधिक लोकतंत्र ठाकुरदास बंग विकेन्द्रित सहभागी लोकतंत्र शंका एवं समाधान ठाकुरदास बंग
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इसमें वो तमाम बीमारियां घुस गयी हैं, जो प्रतिनिधिक लोकतंत्र के ऊपर के दोनों स्तरों में पहले से गंभीर रूप में आ चुकी हैं।
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अपेक्षा थी कि लोकतांत्रिक व्यवस्था इस धारणा को सृदृढ कर प्रत्यक्ष मे उतारती किन्तु प्रतिनिधिक लोकतंत्र के जिस स्वरुप को हमने भारत में अपनाया उसने समाज को जोडने के स्थान पर विघटित करने का ही काम किया।