उल्लेखनीय है कि विजेंद्र के भिवानी स्थित पैतृक गांव कालूवास में 18 मई को आयोजित प्रतिभोज के लिए विजेंद्र के पिता महिपाल सिंह की ओर से छपवाए गए निमंत्रण पत्र पर राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न् अशोक स्तम्भ अंकित थे।
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बारात, बेंड बाजे, रोज रोज किसी ना किसी मिलने वाले के यहां प्रतिभोज में जा कर के खाना, व फिर लिफाफे टिकाना, एक अदद फोटो खिंचवाना व वापस घर आकर के सो जाना यही रुटिन हो गया [...]
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बारात, बेंड बाजे, रोज रोज किसी ना किसी मिलने वाले के यहां प्रतिभोज में जा कर के खाना, व फिर लिफाफे टिकाना, एक अदद फोटो खिंचवाना व वापस घर आकर के सो जाना यही रुटिन हो गया है ।
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बारात, बेंड बाजे, रोज रोज किसी ना किसी मिलने वाले के यहां प्रतिभोज में जा कर के खाना, व फिर लिफाफे टिकाना, एक अदद फोटो खिंचवाना व वापस घर आकर के सो जाना यही रुटिन हो गया […]
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कलकत्ता में नवम्बर, 1889 में हुई वार्षिक सेण्ट एण्ड्रयूज के प्रतिभोज में उसने कांग्रेस की कटु आलोचना करते हुए कहा कि, कोई भी समझदार व्यक्ति यह कैसे सोच सकता है कि ब्रिटिश सरकार उन शानदार और विविध रूप वाले साम्राज्य के, जिसकी सुरक्षा और कल्याण के लिए वह ईश्वर की दृष्टि में और सभ्यता के सम्मुख उत्तरदायी है, प्रशासन पर इस बहुत ही छोटे-से अल्पमत का नियन्त्रण खुशी से हो जाने देगी।